स्वामी सच्चिदानंदजी का स्थूल शरीर चाचोड़ा जिला गुना के एक आद्यात्मिक परिवार में हुआ ,वहा बाबा भीम गिरी जी के आशीर्वाद से आप जन्म से ही ,या ये कहूँ कि पूर्व जन्मो से ही अस्तित्व के साधना पथ के पथिक थे ,बचपन में पिता के प्रभु प्रेमी संस्कार इनकी माता की भगवत भक्ती इन्हे मां के दूध से ही मिली ,बचपन से मां के साथ राम ,कृष्ण ,विष्णु ,शंकर की साधना करते रहे ,माता पिता ने इनको रामायण, गीता ,सुखसागर, कल्याण ,पुराण,आदि दस वर्ष की आयु में ही सुनाये पढाये ,परन्तु स्वामीजी केवल सत्य को खोजते रहे ,तरह तरह की साधनाए पूरे मनोयोग से करते रहे उनकी निस्सारता का बोध होते ही उनको छोड़ते रहे ,किसी अज्ञात संत की प्रेरणा से बचपन में जब आठ्बी कक्षा में पड़ते थे एक आश्रम में चले गये वहा साधना की ,अस्तित्व की कृपा हमेशा साथ रही ,कक्षा १० वी से गायत्री साधना की ,शा. डिग्री कालेज गुना में पड़ते समय हनुमानजी की साधना की ,फिर गायत्री साधना एवं अन्य साधना से इन्हे सिद्दी प्राप्त हुई परन्तु केवल परमात्मा को छोडकर इन्हे कुछ मंजूर ना था अत; सिद्धियों को परमात्मा को समर्पित कर आगे की साधना करते रहे ,बाबा चन्दन गिरी महाराज निमंदड वालो ने इनको निराकार ,निरंजन परमात्मा जो आत्म स्वरूप के रूप में मोजूद है को जानने की ललक लगाई,उपनिषद ,वेद,दादू, पल्टू ,कबीर ,मीरा ,की वानियाँ सुनाई और जाग्रत ,स्वप्न ,सुसुप्ती ,तुरीय ,तुतीयातीत ,स्थूल शुक्ष्म , कारन ,महाकर्ण का प्रायोगिक ज्ञान कराया ,नेती धोती कपालभाती ,गज्करनी आदि क्रियाये सिखाई ,बाबा सिद्ध पुरुष थे और १५० वर्ष से अधिक आयु के थे आपने स्वामीजी को भरपूर प्रेम दिया ,बाबा संगीत की दिव्यता से भी भरे थे खूब गा गा कर वाणी सुनते थे स्वामी जी भी उनके साथ गाते धीरे धीरे स्वामीजी का ह्रदय निर्मल होता गया प्रेम प्रवेश करता गया ,बाबा ने अपना शरीर, स्वामीजी को उनका सबकुछ देकर छोड़ दिया और समय आने पर आत्म साक्षात्कार का पक्का भरोसा और आशीष भी दिया ,बाबा के साथ स्वामीजी साढ़े छः वर्ष खंडवा म.प्र. के जंगलो में रहे ...इसके बाद स्वामीजी को एक नाथ योगी स्वामी ब्रह्स्पती नाथ मिले उनने स्वामीजी को हठ योग ,योग कियाये ,जडी बूटियों का ज्ञान कराया वेसे तो संग्रह करते आ रहे थे स्वामी जी और्वेदिक ज्ञान का ,और फिर विज्ञान के स्नातक भी थे ,नाथ सम्प्रदाय की समस्त योग -ज्ञान सम्पदा नेती धोती चाचरी भूचरी अगोचरी न्योली उनमुनी बज्रोली बस्ती ,जड़ समाधी ,सहज समाधी नील बिंदु साधना ,दुसरे साधक में ज्योति प्रकट करना आदि आनेको गोपनीय साधनाए की ,यह सब पाने के बाद ,नाद ,बिंदु ,ज्योती को पाकर स्वामीजी ने हजारो लोगो की शराब ,मांसाहार की प्रब्रती छुडाई ,सामाजिक सेवा कार्य किये ,गरीबो के जीवन की दिशा और दशा को ठीक किया ,इसी बीच स्वामी ब्रहास्पती नाथ ने भी समाधी ले ली और उनके महा समाधी में लीन होने के वाद जब स्वामी जी को अधुरा पन खटकने लगा तब उनने कुछ समय मुम्बई बज्रेश्ब्री गणश्पुरी में गुजारे परन्तु वहां भी फीकापन लगा ,तब आत्मसाक्षात्कारी महापुरुषों की तलाश करते रहे ,ओशो को १९७१ में इंदौर में मिले थे ,परन्तु धन अभाव और साथ ना मिलने के कारण ,ओशो को पढ़ते रहे उस से आगे के मापदंड मिलते रहे मिथ्या को लात मरने का साहस ओर योग्यता आयी ,इस यात्रा में अनेको ढोंगी मिथ्या अगुरु स्वामीजी के जीवन में आये उनसे भी स्वामीजी ने कुछ ना कुछ सीखा परन्तु कालनेमि की तरह उन्हें हटाते गये अंत में एक अज्ञात गुरु जो स्वामी ज्ञानानंद जी के शिष्य है की सहायता से स्वामीजी को ८ अगस्त १९९८ सुबह ८.४५ को घटना घटित हुई ,आत्मज्ञान हुआ बुद्ध्त्ब अस्तित्व में जागे तबसे उसी में जीते रहे है सन २००३ से स्वामीजी को गुरु पद प्राप्त हुआ तबसे वे कहते है कि जैसे वे भटके वैसी भटकन ,परमात्मा के सच्चे प्रेमियों को नहीं हो ,इसलिए बेशर्त प्रेम और सेवा कर रहे है ,उनका कार्य केवल उन लोगो के लिए है जो बुद्ध्त्ब में जागना चाहते है ,अस्तित्व को जानना कहते है ,अपने आप को जानना चाहते है जीवन मुक्त होना कहते है ,स्वामीजी को संसार की कोई वास्तु नहीं चाहिए उन्हें तो केवल परमात्मा के सच्चे प्रेमी और उन तक पहुचने के लिए साधक चाहिए इसलिए मेरे कहने पर वे फेस बुक पर आये है ,,,धन्यवाद


स्वामीजी के प्रमुख मार्ग दर्शक संत
1 अयोध्यानाथ महाराज , फैजाबाद 1971,पांच मुखी हनुमान मंदिर ,भोपाल स्वर्गीय
2:-स्वामी चंदंगिरिजी महाराज खंडवा 1982,बाँदीकुई ,राजस्थान

3:-नगीन दास जी शाह बाबा ,बुरहानपुर १९८५
4:- योगी वहास्प्रतिनाथ भेख बारा पंथ हरिद्वार आ 1989
5:- स्वर्गीय स्वामी शांतानंद परमहंस 1991
6:स्वर्गीय स्वामी ज्ञानानंदजी महाराज रतलाम .

७:- हिमालय के एक दिब्य महापुरुष जिनने अपना नाम पता बताने की मनाही कर रखी है


इस यात्रा में स्वामीजी ने बहुत सारे अनुभव लिए ,बहुत सारी साधनाए की जैसे तंत्र साधना ,मन्त्र सिद्दी ,विभिन्न प्रकार के यंत्रो को बनाना उनके प्रयोग ,भक्ती योग साधना ,ध्यान योग ,क्रिया योग ,पतंजली योग साधना ,नाथ योग व हठ योग साधना ,कुंडलिनी चक्र साधना ,कपिलमुनि सांख्य साधना ,भेरावी चक्र साधना ,काल भैरब साधना सात्बिक,दिब्य ज्योति साधना नाद ब्रह्म साधना (अनहद नाद ),दिब्य नील ज्योति साधना खेचरी मुद्रा ,चाचरी मुद्रा ,भूचरी मुद्रा, अगोचरी मुद्रा ,महामुद्रा , जड़ समाधी ,शुन्य समाधी ,सविकल्प ,निर्विकल्प ,समाधी ,नाथ योगी समाधी ,कबीर दासजी की सहज समाधी

ओशो के ध्यान :-डायनेमिक ,कुंडलिनी ,जिब्रिश,नटराज ध्यान ,नाद ब्रम्हा ध्यान ,चक्र ब्रीदिग ,चक्र साउंड ब्रीदिग, देव वाणी ध्यान ,गौरी शंकर ध्यान ,चक्रीय ध्यान आदि

राज योग ,तंत्र योग, मन्त्र योग स्वामीजी इसके गहरे राज जानते है जो उनको उच्य कोटि के जानकारों ने जनाए हिमालय के गोपनीय अद्र्स्य संतो से स्वामीजी को आशीर्बाद मिला है स्वामी जी साधू संत ,बुद्धिस्ट ,जैन संतो ,सूफ्ही संतो ,शिक्ख संतो सव से मिले है जिससे उनको विभिन्न प्रकार की साधनाओ में आने वाली बाधा एवं साधको को आने वाली परेशानियों तथा उनके निवारण का पूरा ज्ञान है जैसे कि कुंडलिनी साधना में उर्जा के गलत दिशा में जाने पर साधक पागल हो जाता है ऐसे ब्याक्तीयो का इलाज अस्पताल में नहीं हो सकता ,स्वामीजी उन्हें सामान्य अवस्था में लेन में सक्षम है .स्वामीजी अंत ;आत्मजागरण कराकर जीवन मुक्त अवस्था प्रदान कर जन्म म्रत्यु से मुक्त करने की क्षमता रखते है.

स्वामीजी बहुत से रोगों की और्वेदिक ओषधिया जानते है ,उनके आश्रम में १ मधुमेह २ पाचन तन्त्र ३ मस्तिष्क ४ निंद्रा असंतुलन ५ रक्तशोधक ६बबासीर ७ पीलिया ८ जीर्ण ज्वर ९लकवा १० मिर्गी आदि की दवाये हमेशा रहती है परन्तु ये सारी दवाये सेवा के रूप में दी जाती है केवल लागत मूल्य पर उनके भक्तो के द्वारा ,यह ब्यापार नहीं है वह भी केवल प्रेमियों को ,इसलिए कृपया इसे अन्यथा ना लेवे

इस यात्रा में स्वामीजी अपने अंतिम पड़ाव यानि आत्म जागरण ,स्वरूप के साक़क्ताकार पर पहुचे वह शुभ दिन था ८ अगस्त १०९८ समय था सुबह के ०८.४५ घटना घटित हो गई,अमर तत्त्व का बोध हो गया वे परमात्मा के प्रकाश हो गये शांती आनंद जाग्रत स्वप्न सुसुप्ती तुरीय से अतीत सत चित आनंद हो गये मन ,बुद्धी चित अहंकार से परे हो गये सारे पर्दे हट गये सारे तनाव,दुःख संदेह मिट गये इसी को परमहंस अवस्था कहते है ,गुरु आज्ञा से इसे छुपा कर पूरा रमजाने दिया सन२००२ में स्वामीजी को अस्तित्व के आदेश से गुरु पद दे कर सतगुरु घोषित किया गया ,स्वामी जी ने अपने को किसी भी सम्प्रदाय विशेष से नहीं बांध कर स्वतंत्र रूप से पूरी मानव जाति को यह ज्ञान बांटने का निश्चय किया ,देश काल ,रंग ,गरीब अमीर सारे भेद मिटाकर ,सबको तनाव रहित ,आनंदित ,जागृत ,प्रकाशित ,परमात्मा के दिब्य प्रेम में जगाना ,स्वयं से परिचित कराकर जीतेजी पूर्ण आनंदित तथा शरीर छोड़ने पर मुक्त आत्मा में स्थापित करना चाहते है उन ने आत्मा सक्क्षत्कार का विश्व विद्यालय खोलने का निश्चय किया है जिसमे सभी प्रेमियों का सहयोग लगेगा

स्वामी जी की साधना पद्धती से दुविधा,तनाव,तनाव से होनी बाली बीमारियाँ रक्त चाप ,ह्रदयघात ,ब्रेन हेमरेज ,डिप्रेशन ,अनिद्रा, क्रोध ,आतिकामुकता ,दुःख ,मानसिक असंतुलन प्रथम चरण में ही गायब हो जाता है

ब्यक्ति साधक अनादित जीवन जीना सीख जाता है ,उसकी कार्य सक्षमता ,मानसिक क्षमता,समाजिक संतुलन पारिवारिक संतुलन बढ़ जाता है ,परेशनियो में उसे सवयं निर्णय लेने और सटीक समाधान की योग्यता मिल जाती है ,वह दुसरो के गुण स्वभाव को ठीक से पहचानने लगता है इससे उसके ब्योपार ,व्यवसाय,रोज मर्रा के कार्यो की क्षमता बहुत बढ़ जाने से बह सफल आदमी हो जाता है

साधना के दुसरे चरण में निर्बिकल्प समाधी सिद्ध होती है बह परिवार समाज में रह कर इसे सहज पा लेता है और सामान्य जीवन जीता है सब लोग उससे पहले से ज्यादा प्रसन्न रहते है वह भी आनंदित रहता है

तीसरे चरण में उसे आत्म बोध होना प्रारम्भ होता है और बह सुबह आकाश की तरह परमात्मा के प्रकाश से भरने लग जाता है ,उसका अनुभव उसके जीवन में अनूठा होता हें यह जागरण के पहिले की अवस्था है

चोथे चरण में होता है जागरण आत्म बोध जीव अबस्था का ब्रह्म से अलग अलग जान ना ,इस जाने में ही वो जीने लग जाता है अब वह पुरे दिन केवल आत्मा के बोध में जीता है उसे जाग्रत बुद्ध कहते है

पाचवी अबस्था है जब सोते समय स्वप्न ओर सुसुप्ती में भी जागरण रहता है उसे हम परम जागरण या परम हँस अवस्था कहते है

आओ इस यात्रा की ओर चले

स्वामीजी के मित्रो के समूह तीन प्रकार के है उनकी प्यास के अनुसार

१ स्वामीजी के फेसबुक मित्र ;-सामान्य चर्चा ,प्रेम की चर्चा ,कुछ समाधान ,हाय हलो ,इनमे से कुछ लोगो को छाटना जो पाने की इच्छा रखते हो

२ दिब्य प्रेम समूह डिवाइन लवर्स आफ सच्चिदानंद ,माध्यम प्रेमी जिनका विकास किया जा सकता है इनमे से मुख्य साधक छाटे जायेगे

३मुख्य समूह "डिसायपल ऑफ़ सच्चिदानंद "स्वामीजी के उन शिष्यों का समूह जो अंतिम अवस्था तक पहुच सकते है जिनपर प्रयास किया जायेगा

  समूह की कोई शुल्क नहीं फ्री है ,परन्तु इस समूह के लिए प्रेम ,समर्पण ,शिष्यतव,प्यास आदि ज्ररूरी है स्वामीजी के अनुसार कसोटी होगी

इस समूह के लाभ

१ प्रकाशित सामग्री पुस्तक ,लेख ,तकनीकी ज्ञान दिया जायेगा

२ मार्ग दर्शन में साधना कराई जायेगी

३शारिरिक ,मानसिक स्वस्थता का ध्यान रखा जायेगा ,जरूरत होने पर दिव्य आयुर्वदिक दवाये दी जायेगी

४ हीलिंग एनर्जी ,सेफ्टी एनर्जी का घेरा जहाँ भी होगे सुरक्षा का हाथ रहेगा गुरु क्रपा का

५ धीमे धीमे आप आत्म बोध की ओर बढ़ते चलेगे ,अस्तित्व आपमें उतरेगा जागरण का फूल खिलेगा ,परम प्रेम  का झरना प्रस्फुटित  हो जायेगा 
आपका बडे प्रेम और सम्मान से अभिनंदन है ,आपके अंदर मौजूद अस्तित्ब परमात्मा कों सादर बंदन है |
धन्यबाद
(swamee की संस्था जो सेवा कार्यो के लिए बनी गई है उसका भारत साशन मे पंजीयन किया जा रहा है )

 स्वामी सच्चिदानंद का स्थूल शरीर चाचोड़ा जिला गुना के एक आद्यात्मिक परिबार में हुआ ,वहा बाबा भीम गिरी जी के आशीर्बाद से आप जन्म से ही ,या ये कहूँ कि पूर्ब जन्मो से ही अस्तित्ब के साधना पथ के पथिक थे ,बचपन में पिता के प्रभु प्रेमी संस्कार इनकी माता की भगबत भक्ती इन्हे मां के दूध से ही मिली ,बचपन से मां के साथ राम ,कृष्ण ,बिष्णु ,शंकर की साधना करते रहे ,माता पिता ने इनको रामायण, गीता ,सुखसागर, कल्याण ,पुराण,आदि दस बर्ष की आयु में ही सुनाये पढाये ,परन्तु स्वामीजी केबल सत्य को खोजते रहे ,तरह तरह की साधनाए पूरे मनोयोग से करते रहे उनकी निस्सारता का बोध होते ही उनको छोड़ते रहे ,किसी अज्ञात संत की प्रेरणा से बचपन में जब आठ्बी कक्षा में पड़ते थे एक आश्रम में चले गये वहा साधना की , अस्तित्ब की कृपा हमेशा साथ रही ,कक्षा १० बी से गायत्री साधना की ,शा. डिग्री कालेज गुना में पड़ते समय हनुमानजी की साधना की ,फिर गायत्री साधना एबम अन्य साधना से इन्हे सिद्दी प्राप्त हुई परन्तु केबल परमात्मा को छोडकर इन्हे कुछ मंजूर ना था अत; सिध्धयो को परमात्मा को समर्पित कर आगे की साधना करते रहे ,बाबा चन्दन गिरी महाराज निमंदड बालो ने इनको निराकार ,निरंजन परमात्मा जो आत्म स्वरूप के रूप में मोजूद है को जानने की ललक लगाई,उपनिषद ,बेद,दादू, पल्टू ,कबीर ,मीरा ,की वानियाँ सुनाई और जाग्रत ,स्वप्न ,सुसुप्ती ,तुरीय ,तुतीयातीत ,स्थूल शुक्ष्म , कारन ,महाकर्ण का प्रायोगिक ज्ञान कराया ,नेती धोती कपालभाती ,गज्करनी आदि क्रियाये सिखाई ,बाबा सिद्ध पुरुष थे और १५० बर्ष से अधिक आयु के थे आपने स्वामीजी को भरपूर प्रेम दिया ,बाबा संगीत की दिब्यता से भी भरे थे खूब गा गा कर वाणी सुनते थे स्वामी जी भी उनके साथ गाते धीरे धीरे स्वामीजी का ह्रदय निर्मल होता गया प्रेम प्रबेश करता गया ,बाबा ने अपना शरीर, स्वामीजी को उनका सबकुछ देकर छोड़ दिया और समय आने पर आत्म साक्षात्कार का पक्का भरोसा और आशीष भी दिया ,बाबा के साथ स्वामीजी साढ़े छः बर्ष खंडवा म.प्र. के जंगलो में रहे ...इसके बाद स्वामीजी को एक नाथ योगी स्वामी ब्रह्स्पती नाथ मिले उनने स्वामीजी को हठ योग ,योग कियाये ,जडी बूटियों का ज्ञान कराया बैसे तो संग्रह करते आ रहे थे स्वामी जी आयुर्बेदिक ज्ञान का ,और फिर बिज्ञान के स्नातक भी थे ,,नाथ सम्प्रदाय की समस्त योग -ज्ञान सम्पदा नेती धोती चाचरी भूचरी अगोचरी न्योली उनमुनी बज्रोली बस्ती ,जड़ समाधी ,सहज समाधी नील बिंदु साधना ,दुसरे साधक में ज्योति प्रकट करना आदि आनेको गोपनीय साधनाए की ,यह सब पाने के बाद ,नाद ,बिंदु ,ज्योती को पाकर स्वामीजी ने हजारो लोगो की शराब ,मांसाहार की प्रब्रती छुडाई ,सामाजिक सेबा कार्य किये ,गरीबो के जीबन की दिशा और दशा को ठीक किया ,इसी बीच स्वामी ब्रहास्पती नाथ ने भी समाधी ले ली और उनके महा समाधी में लीन होने के वाद जब स्वामी जी को अधुरा पन खटकने लगा तब उनने कुछ समय मुम्बई बज्रेश्ब्री गणश्पुरी में गुजारे परन्तु वहां भी फीकापन लगा ,तब आत्मसाक्षात्कारी महापुरुषों की तलाश करते रहे ,ओशो को १९७१ में इंदौर में मिले थे ,परन्तु धन अभाब और साथ ना मिलने के कारन ,ओशो को पढ़ते रहे उस से आगे के मापदंड मिलते रहे मिथ्या को लात मरने का साहस ओर योग्यता आयी ,इस यात्रा में अनेको ढोंगी मिथ्या अगुरु स्वामीजी के जीबन में आये उनसे भी स्वामीजी ने कुछ ना कुछ सीखा परन्तु कालनेमि की तरह उन्हें हटाते गये अंत में एक अज्ञात गुरु जो स्वामी ज्ञानानंद जी के शिष्य है की सहायता से स्वामीजी को ८ अगस्त १९९८ सुबह ८.४५ को घटना घटित हुई ,आत्मज्ञान हुआ बुद्ध्त्ब अस्तित्ब में जागे तबसे उसी में जीते रहे है सन २००३ से स्वामीजी को गुरु पद प्राप्त हुआ तबसे बे कहते है कि जैसे वे भटके वैसी भटकन ,परमात्मा के सच्चे प्रेमियों को नहीं हो ,इसलिए बेशर्त प्रेम और सेबा कर रहे है ,उनका कार्य केबल उन लोगो के लिए है जो बुद्ध्त्ब में जागना चाहते है ,अस्तित्ब को जानना कहते है ,अपने आप को जानना चाहते है जीबन मुक्त होना कहते है ,स्वामीजी को संसारकी कोई बस्तु नहीं चाहिए उन्हें तो केबल परमात्मा के सच्चे प्रेमी और उन तक पहुचने के लिए साधन चाहिए इसलिए मेरे कहने पर बे फेस बुक पर आये है ,,,धन्यबाद 


स्वामीजी के प्रमुख मार्ग दर्शक संत 
1 अयोध्यानाथ महाराज , फैजाबाद 1971,पांच मुखी हनुमान मंदिर ,भोपाल स्वर्गीय 
2:-स्वामी चंदंगिरिजी महाराज खंडवा 1982,बाँदीकुई ,राजस्थान 

3:-नगीन दास जी शाह बाबा ,बुरहानपुर १९८५ 
4:- योगी वहास्प्रतिनाथ भेख बारा पंथ हरिद्वार आ 1989
5:- स्वर्गीय स्वामी शांतानंद परमहंस 1991
6:स्वर्गीय स्वामी ज्ञानानंदजी महाराज रतलाम .
7हिमालय के एक दिब्य महापुरुष जिनने अपना नाम पाता बताने की मनाही कर रखी है 

इस यात्रा में स्वामीजी ने बहुत सारे अनुभब लिए ,बहुत सारी साधनाए की जैसे तंत्र साधना ,मन्त्र सिद्दी ,बिभिन्न प्रकार के यंत्रो को बनाना उनके प्रयोग ,भक्ती योग साधना ,ध्यान योग ,क्रिया योग ,पतंजली योग साधना ,नाथ योग ब हठ योग साधना ,कुंडलिनी चक्र साधना ,कपिलमुनि सांख्य साधना ,भैरबी चक्र साधना ,काल भैरब साधना सात्बिक,दिब्य ज्योति साधना नाद ब्रह्म साधना (अनहद नाद ),दिब्य नील ज्योति साधना खेचरी मुद्रा ,चाचरी मुद्रा ,भूचरी मुद्रा, अगोचरी मुद्रा ,महामुद्रा , जड़ समाधी ,शुन्य समाधी ,सविकल्प ,निर्विकल्प ,समाधी ,नाथ योगी समाधी ,कबीर दासजी की सहज समाधी 

ओशो के ध्यान :-डायनेमिक ,कुंडलिनी ,जिब्रिश,नटराज ध्यान ,नाद ब्रम्हा ध्यान ,चक्र ब्रीदिग ,चक्र साउंड ब्रीदिग, देब वाणी ध्यान ,गौरी शंकर ध्यान ,चक्रीय ध्यान आदि 

राज योग ,तंत्र योग, मन्त्र योग स्वामीजी इसके गहरे राज जानते है जो उनको उच्य कोटि के जानकारों ने जनाए हिमालय के की गोपनीय अद्र्स्य संतो से स्वामीजी को आशीर्बाद मिला है स्वामी जी साधू संत ,बुद्धिस्ट ,जैन संतो ,सूफ्ही संतो ,शिक्ख संतो सव से मिले है जिससे उनको बिभिन्न प्रकार की साधनाओ में आने बाली बाधा एबम साधको को आने बाली परेशानियों तथा उनके निबारण का पूरा ज्ञान है जैसे कि कुंडलिनी साधना में उर्जा के गलत दिशा में जाने पर साधक पागल हो जाता है ऐसे ब्याक्तीयो का इलाज अस्पताल में नहीं हो सकता ,स्वामीजी उन्हें सामान्य अबस्था में लेन में सक्षम है .स्वामीजी अंत ;आत्मजागरण कराकर जीबन मुक्त अबस्था प्रदान कर जन्म म्रत्यु से मुक्त करने की क्षमता रखते है.

स्वामीजी बहुत से रोगों की अयुर्बेदिक ओसधियां जानते है ,उनके आश्रम में १ मधुमेह २ पाचन तन्त्र ३ मस्तिस्क ४ निंद्रा असंतुलन ५ रक्तशोधक ६बबासीर ७ पीलिया ८ जीर्ण ज्वर ९लक्बा १० मिर्गी आदि की दबाये हमेशा रहती हैपरन्तु ये सारी दबाये सेबा के रूप में दी जाती है यह ब्यापार नहीं है बह भी केबल प्रेमियों को ,इसलिए कृपया इसे अन्यथा ना लेबे 

इस यात्रा में स्वामीजी अपने अंतिम पडाब यानि आत्म जागरण ,स्वरूप के साक़क्ताकार पर पहुचे बह शुभ दिन था ८ अगस्त १०९८ समय था सुबह के ०८.४५ घटना घटित हो गई,अमर तत्ब का बोध हो गया बे परमात्मा के प्रकाश हो गये शांती आनंद जाग्रत स्वप्न सुसुप्ती तुरीय से अतीत सत चित आनंद हो गये मन ,बुद्धी चित अहंकार से परे हो गये सारे पर्दे हट गये सारे तनाब,दुःख संदेह मिट गये इसी को परमहंस अवस्था कहते है ,गुरु आज्ञा से इसे छुपा कर पूरा रमजाने दिया सन२००२ में स्वामीजी को अस्तित्ब के आदेश से गुरु पद दे कर सतगुरु घोषित किया गया ,स्वामी जी ने अपने को किसी भी सम्प्रदाय बिशेष से नहीं बांध कर स्वतंत्र रूप से पूरी मानब जाति को यह ज्ञान बांटने का निश्चय किया ,देश काल ,रंग ,गरीब अमीर सारे भेद मिटाकर ,सबको तनाब रहित ,आनंदित ,जागृत ,प्रकाशित ,परमात्मा के दिब्य प्रेम में जगाना ,स्वम से परिचित कराकर जीतेजी पूर्ण आनंदित तथा शरीर छोड़ने पर मुक्त आत्मा में स्थापित करना चाहते है उन ने आत्मा सक्क्षत्कार का बिश्व बिध्यालय खोलने का निश्चय किया है जिसमे सभी प्रेमियों का सहयोग लगेगा 

स्वामी जी की साधना पद्धती से दुबिधा,तनाब,तनाब से होनी बाली बीमारियाँ रक्त चाप ,ह्रदयघात ,ब्रेन हेमरेज ,डिप्रेशन ,अनिद्रा, क्रोध ,आतिकामुकता ,दुःख ,मानसिक असंतुलन प्रथम चरण में ही गायब हो जाता है 

ब्यक्ति साधक अनादित जीबन जीना सीख जाता है ,उसकी कार्य सक्षमता ,मानसिक क्षमता,समाजिक संतुलन परिबारिक संतुलन बढ़ जाता है ,परेशनियो में उसे स्वम निर्णय लेने और सटीक समाधान की योग्यता मिल जाती है ,बह दुसरो के गुण स्वभाब को ठीक से पहचानने लगता है इससे उसके ब्योपार ,ब्याबसाय,रोज मर्रा के कार्यो की क्षमता बहुत बढ़ जाने से बह सफल आदमी हो जाता है 

साधना के दुसरे चरण में निर्बिकल्प समाधी सिद्ध होती है बह परिबार समाज में रह कर इसे सहज पा लेता है और सामान्य जीबन जीता है सब लोग उससे पहले इ जादा प्रसन्न रहते है बह भी आनंदित रहता है 

तीसरे चरण में उसे आत्म बोध होना प्रारम्भ होता है और बह सुबह आकाश की तरह परमात्मा के प्रकाश से भरने लग जाता है ,उसका अनुभब उसके जीबन में अनूठा होता हें यह जागरण के पहिले की अबस्था है 

चोथे चरण में होता है जागरण आत्म बोध जीब अबस्था का ब्रह्म से अलग अलग जान ना ,इस जाने में ही बो जीने लग जाता है अब बह पुरे दिन केबल आत्मा के बोध में जीता है उसे जाग्रत बुद्ध कहते है 

पंचबी अबस्था है जब सोते समय स्वप्न ओर सुसुप्ती में भी जागरण रहता है उसे हम परम जागरण या परम हँस अबस्था कहते है 

आओ इस यात्रा की ओर चले 

स्वामीजी के मित्रो के समूह तीन प्रकार के है उनकी प्यास के अनुसार 

१ स्वामीजी के फेसबुक मित्र ;-सामान्य चर्चा ,प्रेम की चर्चा ,कुछ समाधान ,हाय हलो ,इनमे से कुछ लोगो को छाटना जो पाने की इच्छा रखते हो 

२ दिब्य प्रेम समूह दिबा इन लबर्स आफ सच्चिदानंद ,माध्यम प्रेमी जिनकाबिकाश किया जा सकता है इनमे से मुख्य साधक छाटे जायेगे 

३मुख्य समूह "दिसाएपिल ऑफ़ सच्चिदानंद "स्वामीजी के उन शियों का समूह जो अंतिम अवस्था तक पहुच सकते है जिनपर प्रयास किया जायेगा 
,इस समूह के लिए प्रेम ,समर्पण ,शिस्यत्ब ,प्यास आदि ज्ररूरी है स्वामीजी के अनुसार कसोटी होगी 

इस समूह के लाभ 

१प्रकशित सामग्री पस्तक ,लेख ,तकनीकी ज्ञान दिया जायेगा 

२ मार्ग दर्शन में साधना कराई जायेग

3 धीमे धीमे आप आत्म बोध की ओर बढ़ते चलेगे ,अस्तित्ब आपमें उतरेगा जागरण का फूल खिलेगा ,परम प्रेम का झरना फूटेगा 

धन्यबाद 
A ENLIGHTENED SPIRITUAL MASTER OF VEDANTA FOR SELF REALIZATION & WISDOM..

ABOUT ME AND MY MISSION, 
This physical body of mine was born in Chachoda Distt, Guna (M.P.) India, in a religious family. My body was born in a respected family but I do not believe in cast, creed and religion and whole world is my family, I love all the living beings. Since my childhood I was a seeker of God and I am actual lover of God. I performed different type of spiritual methods suggested by my parents and spiritual monks, so when I was student in primary and middle school I was highly involved in different type of practices of spiritual Sadhanas and techniques as described in Hindu mythology. Ones upon a time I left my home and went to an Ashram for Sadhana, but due to affectation and forcefulness of my father I came back to home and completed my education ( B.Sc. Biology) and took part in social movement of India, but my journey towards enlightenment continued. I was like a honey- bee which goes from flower to flower to collect honey so I came across to different type of Gurus, they were masters in their discipline like yoga, Veda, Vedanta ,meditation ,chanting ,dancing, Yaghna, tantra ,mantra,kundlini-yoga,and other different types of spiritual practices, but i was a Hansa a curious person, I knew difference between water and milk ,in this phrase water represents mortal world and milk represents God the immortal soul .So I was not satisfied with this types of spiritual practices but the Self Enlightenment or Atmasakshatkar was not performed yet., -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------, THE MAIN INSTITUTES AND PERSONS HELPFUL IN MY JOURNEY, 1. Ayodhyanath maharaj of Faizabad in 1971,panch mukhee hanuman mandir ,Bhopal, 2.Swami Chandangirije maharaj of Khandwain1982,Bandekuee ,Rajasthan, 3. Nageen Das shah Baba ,Burahanpur, 4. Yogi Vahaspratinath of bhakh barah panth Haridwar aae panthe in 1989,Bhakh barah panth, 5. Swami Shantanand paramhans a wondering monk, 6. Swami Ghyanandje maharaj of Ratlam ,M.P., 7. An unknown and unexplainable satgaru in deep mountains of Himalayas., -------------------------------------------------------------------------------------------------------, In this journey I understood this knowledge and did practices in different types of Sadhanas as Tantra ,Mantra ,Yantra , Bhakti Yoga, Dhyan Yoga,Kriya Yoga ,Patanjali Yoga, Kundalini Chakra Kapil Muni's Sankhya Sadhana, Bhairav Chakra Sadhana, Divine Light Sadhana, Anahadnad -Brahm Sadhana,Divya Neel Bindu Sadhana (blue divine light sadhana),Khecharee ,Chachree, Bhucharee, Agocharee, Shambhvi Maha Mudra, Bandh Jad -Samadhi, Sadhana , Samadhi Sadhana (different types ) in Natha's Institute in India .Meditation ,Objective Meditation ,Subjective Meditation , Non Subjective Meditation, Love meditation only for married couples, Awareness Meditation ,Shakshi Dhyan (meditation of witnessing),OTHER Meditation methods, Dynamic meditation, Kundalini Meditation, Gibberish Meditation, Natraj Meditation, Nada bramha, Chakra breathing, Chakra sound breathing meditation , Dev vani meditation, Gauri shankar meditation, Mahamudra meditation, Cyclic meditation and so on..., In addition, I know deep secrets and full knowledge of Raj Yoga,Tantra Yoga, Mantra Yoga and many more secrets of ancient Indian highly divine Monks in, Natha Yogis, Ashtavakra Muni's, Kapil muni's sankhya darshan, Yoga-Vashishtha atma darshan, and more., I wandered with Monks, Saints, Sufis, Buddhists, Jain saints and several spiritual disciplines in the religious world, by this deep experience and grace of God I know the difficulties of Sadhaks and how abnormal conditions arise in spiritual practices as in Kundalini Sadhana if energy goes in wrong direction can disturb physical and mental balance of Sadhaks,so I can treat those types of persons, by the experience of yoga, and Herbal Medicines, I know precious secret herbal medicines in Ayurveda, in ashram some medicines available on on a no profit no loss basis., 1. Diabetic Medicine, 2. Digestive System problem’ s medicine, 3. mind power growth ,brain tonics, blood deposition in brain, memory increasing medicine, 4. Medicine for Brain Disorders or Imbalance of Brain, Mental diseases , Sleep disorders, But these are all non professional practices ,just service, only for divine lovers, at no profit no loss service .so please do not take it otherwise ., In this journey i reached the peak of enlightenment on 8 Aug 1998 now I became a Paramhans and became an immortal Awakened soul .Now I am a light of God, giving peace, internal prosperity and, Anand (pleasure) and super spiritual methods of how to live in day to day life., WHAT IS PARAMAHANSA?, When a person awake in day to day life, in sleep and in sound dreamless sleep ,in conscious mind and sub conscious mind and in super conscious mind (jagrat,swapna ,susupti me jage rahana ) ,that state is called Paramanhansa ., I am giving Enlightenment to actual lovers of God who become my disciple. I give many more services., Persons that are in dilemma, tension or even suicidal., I council with those persons and release tension and dilemma, they feel good. I give them divine love and blessings for persons who are in any trouble, and suggest them solutions to come out of troubles, my teachings release the tension of life,., I teach the real Meditation, how to live in day to day life. In every work or part of life my teachings are very helpful to release sorrow, tension, violence and every negativity in life and grow love peace, pleasure and total positivity internal prosperity in my friend’s life., So the person can live in consciousness, awareness in totality, total freedom, unbroken undivided mind, lovely graceful heart, beautiful lifestyle, and many more Positive characteristics and actual prosperity of life, by the divine practical teachings of mine., ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------, THERE ARE THREE TYPES MEMBERSHIP TO JOIN MY GROUPS, 1. Facebook friends, PUBLIC GROUP AND INTRODUCTORY :chatting, lighter talks, read my wall post, my notes, ashram activities TOTALLY FREE for all beloved friends.If you want to take benefits of my divine love free of cost ,you can see my wall post ,notes ,Pravachans,Discourses ,My Videos on you tube,some comments visit my websitewww.disciplesofswamisachhidanand.yolasite.com, It may be possible that I choose you for this group which depends your heartily love,curiosity, thirst of love and spiritual ability. I am sorry that some persons question our intentions due to their doubtful nature and unfortunately there are now a days some cheaters and rogues doing business on internet, so they do not trust on True Saints, it is natural tendency, so it was compulsory to us that we clear all these matters to every one ,our work is transparent, honest ,with good intention, we do not want to fool any one, we want give peace ,joy, divine love ,enlightenment and avoid darkness of false knowledge,save real lovers ,Seekers time and energy,love and bless by my whole heart and divinity to you all readers, WE WELCOME ALL REAL LOVERS OF GOD, THANK YOU
http://www.youtube.com/results?search_query=sawami+sachhidanand+paramhansa&oq=sawami+sachhidanand+paramhansa&aq=f&aqi&aql&gs_sm=s&gs_upl=7400l27968l0l29789l34l33l0l27l27l2l4427l11394l2-1.7-1.3.1l6l0
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enlightenment is highest goal of life , it comes by awareness enlightenment is highest goal of life, it comes by awareness I am never born and will never die but my body is born and will merge in five elements someday.i am representative of almighty God and came on this earth to enlighten and transform to every disciple or actual lover of God into the "light of God" that is called total freedom and enlightenment.
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